नमस्कार मित्रों
इतने दिनों तक आपसे कोई संपर्क नहीं हो पाया, इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं। परंतु क्या करूं, m.comm द्वितीय वर्ष के एग्जाम चल रहे थे, तो वहां समय देना भी आवश्यक था।
पिछला यात्रा लेख, जनवरी में वैष्णो देवी यात्रा, जो मैंने वैष्णो देवी और शिवखोड़ी यात्रा पर लिखा था, उसे आप सब ने इतना प्यार दिया। उसके लिए धन्यवाद देने लायक मेरे पास शब्द नहीं है, ओर वैसे भी अपनो को धन्यवाद कहते नही हैं।
वादा किया था कि जल्द ही आपसे अगली यात्रा के साथ मिलूंगा और अब समय आ गया है, इस वादे को पूरा करने का। आज की यह पोस्ट कोई यात्रा वृतांत तो नहीं है, पर अगले यात्रा लेख की एक भूमिका मात्र है, जिस यात्रा के बारे में लिखूंगा।
यह यात्रा फरवरी 2017 में की गई थी, अंबाला से रेणुका जी, हरिपुरधार होते हुए चुरधार। किसी भी पहाड़ी क्षेत्र में यह मेरे द्वारा की गई ""पहली बाइक यात्रा"" थी। मजा भी बहुत आया और दुख भी बहुत हुआ।
यह यात्रा जिन चरणों में पूरी होगी, आज थोड़ा उसके बारे में बता देता हूं। इस यात्रा में आप और मैं अंबाला से चलकर सबसे पहले जिस पर्यटक स्थल पर पहुंचेंगे- वो है हिमाचल के जिला सिरमौर में स्थित रेणुका जी झील व मन्दिर। दर्शन के पश्चात हम जाएंगे, सिरमौर के लोगो की कुलदेवी माता भंगायनी देवी मंदिर।
हरिपुरधार के बाद चूड़धार यात्रा के बेस कैंप नौहराधार तक पहुंचेंगे और उसके बाद शुरू होगा चूड़धार का रोमांचक सफर। trek करने के पश्चात फिर हम वापस आएंगे अंबाला।
इसे मैं रोमांचक सफर इसलिए कह रहा हूं क्योंकि इस पूरे सफर में मेरे साथ अन्य कोई भी नहीं था। जो मित्र मेरे साथ बाइक पर गया था, वो भी चूड़धार जाने के लिए मना कर गया। पर मंजिल के करीब आकर भी दूर जाना मुझे अच्छा नही लगा और मैं निकल पड़ा अकेला ही, रास्ते के खतरों से अनजान। बिना tent ओर sleeping bag के, बिना खाने पीने के सामान के। अकेले मुसाफिर को यह भी नही पता कि रात को रुकना कहाँ और कैसे है। नोहराधार के लोगो ने भी मेरे अकेले जाने पर ऐतराज जताया, पर मैं नही रुका(हालांकि, इसका परिणाम भी मुझे भुगतना पड़ा)। मैं नोहराधर से चला और ट्रैक शुरू किया तो वापस नोहराधर आने तक मुझे रास्ते में सिर्फ एक सरदार जी और उनकी पत्नी मिले।
इस सफर में डर भी है, भय भी, मजा भी और रोमांच भी। मुझे लगता है कि जिस प्रकार मुझे इन सब की अनुभूति हुई, आप भी मेरे साथ इन सब भावनाओं की अनुभूति करेंगे। इस यात्रा का आगाज़ मैं अगले शुक्रवार से करूँगा ओर प्रत्येक शुक्रवार को एक नया लेख लेकर आपके सामने आऊंगा। मैं आज के इस लेख में अपनी इस यात्रा के 10 ऐसे फोटो लगा रहा हूं, जो मुझे सबसे पसन्द हैं। इसके बारे में पूरी जानकारी आपको अगले लेखों में मिलेंगी।
इतने दिनों तक आपसे कोई संपर्क नहीं हो पाया, इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं। परंतु क्या करूं, m.comm द्वितीय वर्ष के एग्जाम चल रहे थे, तो वहां समय देना भी आवश्यक था।
पिछला यात्रा लेख, जनवरी में वैष्णो देवी यात्रा, जो मैंने वैष्णो देवी और शिवखोड़ी यात्रा पर लिखा था, उसे आप सब ने इतना प्यार दिया। उसके लिए धन्यवाद देने लायक मेरे पास शब्द नहीं है, ओर वैसे भी अपनो को धन्यवाद कहते नही हैं।
वादा किया था कि जल्द ही आपसे अगली यात्रा के साथ मिलूंगा और अब समय आ गया है, इस वादे को पूरा करने का। आज की यह पोस्ट कोई यात्रा वृतांत तो नहीं है, पर अगले यात्रा लेख की एक भूमिका मात्र है, जिस यात्रा के बारे में लिखूंगा।
यह यात्रा फरवरी 2017 में की गई थी, अंबाला से रेणुका जी, हरिपुरधार होते हुए चुरधार। किसी भी पहाड़ी क्षेत्र में यह मेरे द्वारा की गई ""पहली बाइक यात्रा"" थी। मजा भी बहुत आया और दुख भी बहुत हुआ।
यह यात्रा जिन चरणों में पूरी होगी, आज थोड़ा उसके बारे में बता देता हूं। इस यात्रा में आप और मैं अंबाला से चलकर सबसे पहले जिस पर्यटक स्थल पर पहुंचेंगे- वो है हिमाचल के जिला सिरमौर में स्थित रेणुका जी झील व मन्दिर। दर्शन के पश्चात हम जाएंगे, सिरमौर के लोगो की कुलदेवी माता भंगायनी देवी मंदिर।
हरिपुरधार के बाद चूड़धार यात्रा के बेस कैंप नौहराधार तक पहुंचेंगे और उसके बाद शुरू होगा चूड़धार का रोमांचक सफर। trek करने के पश्चात फिर हम वापस आएंगे अंबाला।
इसे मैं रोमांचक सफर इसलिए कह रहा हूं क्योंकि इस पूरे सफर में मेरे साथ अन्य कोई भी नहीं था। जो मित्र मेरे साथ बाइक पर गया था, वो भी चूड़धार जाने के लिए मना कर गया। पर मंजिल के करीब आकर भी दूर जाना मुझे अच्छा नही लगा और मैं निकल पड़ा अकेला ही, रास्ते के खतरों से अनजान। बिना tent ओर sleeping bag के, बिना खाने पीने के सामान के। अकेले मुसाफिर को यह भी नही पता कि रात को रुकना कहाँ और कैसे है। नोहराधार के लोगो ने भी मेरे अकेले जाने पर ऐतराज जताया, पर मैं नही रुका(हालांकि, इसका परिणाम भी मुझे भुगतना पड़ा)। मैं नोहराधर से चला और ट्रैक शुरू किया तो वापस नोहराधर आने तक मुझे रास्ते में सिर्फ एक सरदार जी और उनकी पत्नी मिले।
इस सफर में डर भी है, भय भी, मजा भी और रोमांच भी। मुझे लगता है कि जिस प्रकार मुझे इन सब की अनुभूति हुई, आप भी मेरे साथ इन सब भावनाओं की अनुभूति करेंगे। इस यात्रा का आगाज़ मैं अगले शुक्रवार से करूँगा ओर प्रत्येक शुक्रवार को एक नया लेख लेकर आपके सामने आऊंगा। मैं आज के इस लेख में अपनी इस यात्रा के 10 ऐसे फोटो लगा रहा हूं, जो मुझे सबसे पसन्द हैं। इसके बारे में पूरी जानकारी आपको अगले लेखों में मिलेंगी।
और हां, एक बात और। इस बार मेरे उन मित्रों की शिकायत भी दूर होगी, जो कहते हैं कि मैं अपने यात्रा लेखों में अपने फोटो ज्यादा लगाता हूं। तो दोस्तों, इस यात्रा से पहले तक मैं केवल एक tourist था और इस यात्रा ने मुझे एक घुमक्कड़ बनाया तो इस यात्रा के चित्र और इससे आगामी यात्राओं के चित्र आपको मुझसे ज्यादा प्राकृतिक नजारों के मिलेंगे।
आप सब की टिप्पणियों ओर सुझावों के इंतज़ार में:-
धरती-पुत्र
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ReplyDeleteयादे ताज़ा कर दी भाई जी आपने
ReplyDeleteआपके सभी लेखों इन्तज़ार रहेगा
आपको अच्छा लगा, खुद की यात्रा की याद आयी समझो प्रयास सफल होगया लोकेंद्र भाई जी
DeleteAchi yatra h aage ke update ka intzar rahega
ReplyDeleteधन्यवाद भाई साहब। जल्द ही हाजिर होंगे आपके पास
Deleteइंतजार रहेगा, इस यात्रा के विवरण का, विस्तार से लिखना, कंजूसी नहीं चलेगी।
ReplyDeleteअकेले यात्रा ही असली घुमक्कड़ बनाती है।
Hahahahh
Deleteकंजूसी तो यात्रा के दौरान ही कर लेते हैं संदीप भाई, लिखने में कोई कंजूसी नही।
ओर आपकी सलाह ही मेरे लिये आशीर्वचन का काम करती है जी
बहुत धन्यवाद इस यात्रा का की इस यात्रा ने आपको टूरिस्ट से घुमक्कड़ बनाया
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु धन्यवाद प्रतीक भाई जी।
Deleteयात्राएँ ही सिखाती है व्यक्ति को जिंदगी का अनुभव