Don’t listen to stories, tell the stories

Wednesday 6 September 2017

हरियाणा का हिमालय आदिबद्री

सभी को नमस्कार,

वंदे मातरम

  मेरा एक पोस्ट लिखने का बहुत दिल कर रहा था पर पड़ोस में कुछ बच्चों ने गणेश उत्सव के लिए पंडाल सजा रखा है जिसमें हर रोज गणेश जी की महिमा का गान होता है। थोड़ा बहुत तो सुरताल हम भी मिला लेते हैं तो हर रोज वहां 8:00 से 10:00 भजन संध्या के आयोजन में शामिल होना पड़ता था। कल ही गणपति विसर्जन हुआ है तो आज आपके लिए एक नई जगह की नई पोस्ट लेकर हाजिर हूँ।
           पिछली पोस्ट में आप से वादा किया था किया था कि हाजिर होऊंगा तो 2017 के जनवरी माह की यात्रा के साथ पर 2012 से 17 के बीच में बहुत सी यात्राएं की गई थी। उनमें से कुछ यात्राओं के चित्र मेरे पास उपलब्ध नहीं है और कुछ 1 दिन की यात्राएं भी हैं। पर खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि मुझे उस वादे का तोड़ना पड़ेगा और आपको इस नई जगह के बारे में बताना पड़ेगा।

आपमें से बहुत से मित्र तो लेख के शीर्षक को देख कर भी चकित हो गए होंगे कि हरियाणा में हिमालय कहां से आ गया।पर्वतराज तो हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर आदि क्षेत्रों में मिलते हैं। तो मित्रों वास्तविकता भी यही है की हरियाणा में हिमालय नहीं अपितु शिवालिक और अरावली की छोटी पहाड़ियां है और उन्हीं शिवालिक की पहाड़ियों की गोद में स्थित है आदिबद्री।  हरियाणा का एक बहुत ही घुमा जाने वाला toursit destination. यह यात्रा मैंने पिछले वर्ष 2016 में की थी। आज आपको इस जगह की सैर मैं अपने साथ करवाता हूं।


यह फोटो मेरे द्वारा खींची गई नही है। इंटरनेट से आप लोगों को गर्भगृह दिखाने के लिए डाउनलोड की है।




हरियाणा का एक जिला है- यमुनानगर। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे जिले में शिवालिक की पहाड़ियों की भरमार है।हरियाणा का सबसे अधिक घूमा जाने वाला मोरनी हिल्स नाम का हिल स्टेशन भी यमुनानगर के पास में ही है, पर है पंचकूला जिले में। चलिए मैं अपनी बात पर आता हूं। यमुनानगर के सडोरा नामक शहर में मेरे चाचा जी रहते हैं। वहां अध्यापक हैं, तो एक बार उनके साथ मैं वहां गया। उस दिन मंगलवार था। दिन मुझे अच्छी तरह याद नहीं तो हमारा कार्यक्रम बना जगाधरी के प्रसिद्ध श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर में जाने का, लेकिन इस पर्वत प्रेमी को यह मैदानी इलाके कहां पसंद आते हैं। उस दिन हल्की हल्की बारिश भी हो रही थी तो मैंने चाचा जी से कहा कि आदिबद्री चलते हैं। मैं वहां पहले भी हो चुका था लेकिन वहां जाए हुए बहुत समय हो गया था। चार पांच बार कहने पर चाचा जी मान गए और सब परिवार हम आदिबद्री के लिए प्रस्थान कर गए। मुझे गाड़ी अच्छी तरह से चलानी नहीं आती पर ड्राइवर के साथ वाली सीट पर बैठना मुझे बहुत पसंद है। इससे आप प्राकृतिक दृश्यों का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। तो मैं अपनी पसंदीदा सीट पर पसर गया। बारिश बीच में हल्की हल्की हो रही थी और साथ में किशोर कुमार के गाने भी गाड़ी के स्टीरियो में बज रहे थे। सडोरा से आदिबद्री कोई 30-35 किलोमीटर के आसपास है। बीच में हमने गाड़ी रोकी और कुछ फोटो वगैरा लिए और उसके बाद आगे के लिए प्रस्थान किया।
यहाँ मैं आपको एक बात बता दूं, जो भी मित्र आदिबद्री जाना चाहते हैं। तो उसके 2 रास्ते हैं, एक जो सडोरा से होकर जाता है। दूसरा रास्ता से जाने के लिये आपको यमुनानगर के एक कस्बे बिलासपुर तक पहुंचना पड़ेगा व फिर आगे के लिये प्रस्थान करना होगा।
रास्ते के हरे भरे खेत
परिवार के साथ एक संयुक्त चित्र




आप सबने सरस्वती नदी के बारे में तो सुन ही रखा होगा कि सरस्वती नदी धरती में अलोप हो गई और आज भी सरस्वती धरती के नीचे बहती है। राजस्थान, गुजरात आदि राज्यों के कुछ जिलों में राडार परीक्षण के माध्यम से यह साबित भी हो चुका है। सरस्वती नदी के उद्गम स्थल के बारे में बहुत सी धारणाएं हैं ।वास्तव में सरस्वती नदी का उद्गम स्थल आदिबद्री है। वहां आज भी पहाड़ों से रिस रिस कर पानी आता है और एक छोटी सी नदी का रूप ग्रहण कर लेता है। आदिबद्री पहुंचने पर सबसे पहले सरस्वती उद्गम स्थल के दर्शन किए गए। पवित्र नदी के जल का आचमन किया और फिर भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने के लिए हम चले गए। गाड़ी को पार्किंग में लगा कर मैं परिवार सहित मंदिर में दर्शन के लिए चला। मंदिर तक पहुंचने के लिए 100 के करीब सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। उन सीढ़ियों पर चढ़ने के बाद आपको मंदिर के दर्शन होंगे।

यह श्री आदि बद्री नारायण का प्रवेश द्वार

इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु ने जब बद्रीनाथ में तप किया तो उससे पहले वह यहां कुछ देर ध्यान में लीन रहे, इसीलिए इस जगह का नाम आदिबद्री यानी आरंभ का बद्री पड़ा। मंदिर के अंदर जाने पर भगवान विष्णु की उसी प्रकार की मुद्रा में मूर्ति दिखाई पड़ती है जैसी उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम में है। क्योंकि मंदिर के गर्भ ग्रह में फोटो लेना वर्जित था तो मैं उसका चित्र नहीं खींच पाया। मंदिर छोटा है परंतु आकर्षक है। दोपहर का समय था और मंदिर में भंडारे का भी आयोजन था। कढ़ी चावल बने हुए थे और हम खाने बैठे तो मेरी चाची जी ने अपना पर्स अपने पास रख लिया था। यहां एक बहुत ही कमाल की घटना घटी। एक बंदर आया और उस पर पर्स को उठा कर पेड़ पर चढ़ गया । इसमें चाची जी का मोबाइल और कुछ पैसे भी थे तो शोर मचाना तो लाजमी था। पर अगर शोर मचाने से ही बंदर उठाया हुआ सामान दे दे, तो उसे उत्पाती कौन बोले?  खैर तब वहां मंदिर के पुजारी जी आए और 10-15 लोग जो वहां उपस्थित थे, उन्होंने डरा-धमकाकर किसी तरह बंदर से वह पर्स नीचे गिरवाया और तब हमने वह उठाया। जिस जगह पर आदि बद्री नारायण का मंदिर है, उससे कुछ दूर जाकर आदि केदार नाम से भी मंदिर है, जहां भगवान शंकर का शिवलिंग है।फिर हम परिवार सहित उस मंदिर में गए और भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए। कमाल है हमें देख कर पुजारी स्वयम अपने कमरे से निकल कर आये और हमसे भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करवाया। बदले में उन्होंने हमसे 1 रुपए की भी मांग नही की। खैर भगवान से उनका वरद-हस्त यूँ ही सिर पर बनाये रखने की कामना की और नीचे सरस्वती नदी की तरफ आ गए। सरस्वती में थोड़ा उछल-कूद मचाने के बाद हमारी मंत्रणा देवी नाम की एक पहाड़ी पर चढ़ने की योजना थी।  परन्तु यहां  एक गड़बड़झाला हो गया।


      हुआ ये कि मेरी छोटी बहन बोली कि  नदी के उस पार जा कर दिखा तो तुझे Dhartiputra मानूँ । बस फिर क्या था, मैंने बेवकूफी की ओर चल दिया उस पार। नदी में सिर्फ टखनों तक पानी था , लेकिन पता नहीं कहां से बीच में गढ्ढा आ गया और मैं धड़ाम से उसमें गिर पड़ा। यह तो ईश्वर की कृपा रही की मात्र 2  सेकेंड के समय से पहले मैं उस पानी के गड्ढे से निकल गया,  वरना वहां कोई बचाने वाला भी नहीं था। इस 2 सेकंड में ही मैं पूरा गीला हो गया और मेरे मोबाइल में पानी चला गया। अब एकदम से फोन बचाने के डर के कारण हम मंत्रणा देवी की चढ़ाई तो नहीं कर पाए। गाड़ी में आकर उसका हीटर चलाकर मैंने अपना फोन सुखाया, पर वो on नही हुआ।  तब अंबाला जाकर केयर में दिखाया और उसे ठीक करवाया।
सरस्वती नदी के अंदर खड़ा होकर खिंचवाया गया चित्र। इसके कुछ देर बाद ही मैं पानी में गिर पड़ा था



          तो मित्रों यह भी आदि बद्री की यात्रा। मुझे पता है आप सब लोग कहेंगे मैंने गलती की , नदी के पार नही जाना चाहिये था। बिल्कुल सही बात है जी मैंने वास्तव में गलती की। पर कहते हैं न कि व्यक्ति किताबों से कम अनुभव से अधिक सीखता है, ओर ये अनुभव मुझे हो चुका है।
जल्दी ही आपके समक्ष उपस्थित होऊंगा एक नई यात्रा के साथ , तब तक के लिये

वन्दे भारत मातरम
इस द्वार के अंदर है वह स्थान, जहां सरस्वती का उद्गम स्थल माना जाता है।
माफी चाहूंगा मित्रों, इस लेख में आपको प्राकृतिक नजारों के चित्र कम देखने को मिलेंगे। उस समय मैं घुमक्कड़ नही था, एक यात्री मात्र था जो केवल अपने व अपने परिवार के चित्र खीचने में रुचि रखता है। आने वाले लेखों में आपकी इस शिकायत को दूर करने का भरपूर प्रयास किया जाएगा


मेरे ठीक पीछे जो पहाड़ी दिख रही है, उसी के ऊपर है मंत्रणा देवी का मंदिर, पर फोन खराब होने की टेंशन में मैं वहां नहीं जा पाया।

इस यात्रा में मेरा सबसे पसंदीदा चित्र

15 comments:

  1. पुराने गाने सुनते हुए कार में घूमना मुझे बहुत ही ज्यादा पसंद है....आदि बद्री मंदिर उत्तराखंड में भी है

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    1. जी बिल्कुल। उत्तराखंड में भी है, पर वहाँ जाने का मौका अभी नही लगा।

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  2. इस जगह के बारे में एक बार किसी ने जिक्र किया था, आपने दर्शन ही करा दिये।

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    1. कोटि कोटि धन्यवाद संदीप भाई साहब। आपके comments का तो इंतज़ार मुझे हमेशा रहता है, पर आप शायद बड़े बड़े ब्लॉगरों के साथ व्यस्त रहते हैं जी।

      ओर रही बात दर्शन की, तो मैने तो आपको मात्र एक जगह के दर्शन करवाये हैं जी, आपने तो सैंकड़ो जगहे हमे दिखाई हैं😊😊☺☺☺

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    2. भाई, बडा ब्लागर न कहो, बडे बनने के चक्कर में नये भाई अपनापन महसूस नहीं कर पाते है।

      पुराना ब्लागर ठीक शब्द रहेगा। नये पुराने सभी साथी मिलकर रहे तो अच्छा लगता है।
      कुछ समय तक मैं अन्य भाइयों के ब्लॉग नहीं पढ पाया, अब लगातार उन सभी को पढ रहा हूँ व कमेंट भी कर रहा हूँ जिनकी जानकारी मुझे है।

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    3. चलिये आपकी खुशी के लिये पुराना सही।

      पर व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए आप हमेशा ही बड़े रहेंगे जी

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  3. अक्षय जी, पिछले साल एक पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने अम्बाला गया था और ठान कर गया था कि आगे आदिबद्री और आदि कैलाश भी जाऊँगा.... परन्तु अफसोस अगले दिन ही वापस आना पड़ा....

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    1. कोई बात नही भाई साहब, जब कभी अगली बार अंबाला जाओ तो वहां जरूर जाकर आना।
      आप जैसे घुमक्कड़ ही तो इन जगहों की शान बढ़ाते हैं।

      कमेंट के लिए धन्यवाद

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  4. बहुत बढ़िया लिखा आपने और बहुत ही अच्छे से विवरण दिया है, पर एक बात मैं कहना चाहूँगा उसे आप आदेश मानो या सलाह ये आपकी मर्ज़ी, ज्यादा जोखिम वाला काम ठीक नहीं होता, आपने नदी में गिरने वाली बात लिखी पर ज्यादा रिस्क लेना अच्छा नहीं होता

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    1. जी हाँ अभ्यानंद जी, मुझे आज तक भी पछतावा है इस बात का। मैं जोश में होश क्यों खो बैठा। उस दिन कुछ भी हो सकता था।

      पर आप जैसे बड़े भाइयों की शुभकामनाएं मेरे साथ हैं जो मैं इस समय typing कर रहा हूँ। पर आपका आदेश(सलाह नही) मेरे सिर आंखों पर है जी।

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  5. बडे भाई, जिस नदी में आप खडे होकर फोटो खींचवा रहे हो वो सोम नदी है। सरस्वती नही ।

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  6. भाई हमका भी दिखा दो ये जगह....... धार्मिक जगह के बंदर हमेशा चालू मिलेंगे कुछ ना कुछ मिलने की आशा में ही यह पर्स चश्मा इत्यादि छीन लेते हैं

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  7. Abhi Kuch Din pehle hi maine Facebook per is Mandir ke baare mein jaankari di hui thi. Aj yahan bhi pada. Jankari bahut achi hai. Bhagwan se prarthan ahai ki jald hi hume bhi darshan dene ke liye bulaye. Dhanywad.

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